कश्मीर भारत का हिस्सा है या नहीं? क्या भारत को कश्मीर पर से अपना दावा छोड़ देना चाहिए? आखिर क्या वजह है की पाकिस्तान कश्मीर के मुद्दे को अभी तक उठाते आ रहा है?
जवाब:
कश्मीर भारत का हिस्सा है| पर विश्व समुदाय में कोई भी (स्वयम भारत भी) नहीं चाहता की कश्मीर मुद्दे पर कोई फैसला हो पाए|
कश्मीर भरता का हिस्सा है
रजा गुलाब सिंह ने जम्मू और कश्मीर की रियासत को वैसेरॉय ऑफ़ इंडिया की हुकूमत के अधीन करना स्वीकार किया था| उनके उपरांत रजा हरी सिंह जो 'प्रिंसे चेम्बर्स ऑफ़ इंडिया' के सदस्य भी रहे और पटियाला के रजा भूपिंदर सिंह से चांसलर पद को झपटने के प्रयास में वैसोरॉय से सांथ गाँठ भी लगते रहे..... ने 'इन्स्त्रुम्नेट ऑफ़ ऑकेस्स्सिओन ऑफ़ इंडिया एक्ट १९४५' में धरा ३५६ के तहत हस्ताख्षर भी कर दिया था|
इस एक्ट के आधार पर जम्मू और कश्मीर भारत का अभिन्न्य हिस्सा तो बन गया लेकिन धरा ३५६ ने जम्मू और कश्मीर को कई विशाधिकार दे दिए|
कश्मीर एक मुस्लिम बाहुल्य राज्य था जिसका रजा एक हिन्दू था और पाकिस्तान के मुताबिक वो एक निरंकुश रजा था, इस लिए कश्मीर एक मुस्लिम राष्ट यानि पाकिस्तान को दे देना चाहिए|
आजादी से पहले लगभग सभी रियासतों के रजा निरंकुश थे और अपनी प्रजाओं के प्रति गैर जिम्मेदार थे| मुस्लिम बाहुल्यता के आधार पर जम्मू कश्मीर की जनगढ़ना पाकिस्तान को कश्मीर का पूरा दावेदार नहीं साबित कर प् रही थी|
भारत के प्रथम प्रधान मंत्री एक कुशल शासक थे पर बहुत ही कमजोर कूटनीतिक साबित हुए| १९४८ के प्रथम भारत पाक युद्ध में पाकिस्तान को हराने के बाद जब भारत हमेशा के लिए कश्मीर पर अपनी दावेदारी मजबूत कर सकता था तब नेहरु ने यह कह दिया की भारत कश्मीर मुद्दे पर संयुक्त राष्ट्र की मध्ध्यस्ताता स्वीकार करता है| इस पर संयुक्त राष्ट्र को मौका मिल गया की वो एशिया के तीन शक्तिशाली देशो के बीच अपनी मजबूत जगह बना ले| और संयुक्त राष्ट्र को चीन, पाकिस्तान और भारत के बीच एक स्थायी जमीन मिल गयी|
विडम्बना
धरा ३५६ के तहेत, कोई भी गैर कश्मीरी भारतीय... कश्मीर में नहीं रह सकता, न कोई माकन बना सकता है और नहीं कोई व्यवसाय कर सकता है| लेकिन कोई भी कश्मीरी भारतीय, भारत के किसे भी राज्य में रह सकता है| इस धरा से ये हुआ की कश्मिर्रियों को एक जुट करना और उन्हें धरम के नाम पर बरगलाना पाकिस्तानियों के लिए आसान हो गया! उस पर संयुक्त राष्ट्र की मध्यस्थता ने कश्मीर को दो हिस्सों में बात दिया जिसका फायेदा पाकिस्तान को यूँ हुआ की, आधे कश्मीरी जिनके बाकी के रिश्तेदार के रिश्तेदार हिंदुस्तान की शरहद में रहते है... उन दोनों परिवारों को बरगलाना आसान हो गया| धरा ३५६ ने वहां किसी और को बसने नहीं दिया सो वो अपने दर्द के साथ अकेले हो रह गए|
कूटनीति
अम्रीका चाहता है की चीन और भारत पर करीब से नजर रखने के लिए एशिया में पाकिस्तान से अछि जगह नहीं मिलेगी और पाकिस्तान को कश्मीर का समर्थन दिए बिना ये संभव नहीं था| रूस चाहता था की चीन के आगे भारत तक उसकी समाजवादी विचार धरा का विस्तार हो और तीनो बड़े देश (रूस, चीन और भारत) उस विशाल भू खंड में परस्पर विश्वास से रहे| पूरा यूरोप और अमेरिका कहते थे की रूस का शक्ति विस्तार बंद हो|
शक्ति शंचालन की इस कूटनीति ने भारत की आतंरिक संरचना को बाजारवादी अवं अवसर वादी बना दिया| और रूस के विखंडन के बाद भारत अमेरिका का पीछ लग्गू हो गया|
इस छदम अवसरवादी गूढ़ मानसिकता ने भारतीय राजनेताओं को कश्मीर एक मुद्दा प्रतीत होने लगा... वो रझा मनो रह ही न गया हो|
सम्भावना
भारत को धरा ३५६ का सर्वनाश करना ही होगा| समूचे कश्मीरी समाज को भारत के विभिन्न हिस्सों में भेजना हो होगा... उनकी शिक्षा, समर्सिता का जिवुपर्जन करना ही होगा| गैर-कश्मीरी भारतियों को कश्मीर में व्यवसाय, निवास का अधिकार देना होगा.... कश्मीर की लचर शिक्षा व्यवस्था को संतुलित करना होगा| एक साहसिक चेतावनी देकर भारत को विश्व के सामने ये कहना होगा की कश्मीर कोई मुद्दा नहीं है बल्कि हमारा एक अभिन्न राज्य है|
हुंकार तो भरनी पड़ेगी| अभी या फिर २ साल बाद| दोस्तों शिक्षा के महत्व को समझो.... मेरी भारत माँ पे तरस खाओ|||
Comments
i don't know the govt much, so there is a question in my mind about what our govt plans for Kashmir(Are they doing anything?) and what could be the future consequences if vital steps are not taken(like destroying the 356 act)?
our so called think tank(like Arundhati roy , Prashant Bhushan etc.) must read this before making any nonsense comment over Kashmir situation .
जय हिंद!!!!