आज सुबह -सुबह मेरी किताब के निचे -----THE END------------ लिख गया -----
मन में ऐसा लग रहा था जैसे मरते वक़्त कोई इंसान को लगता होगा....
कान को एक अजीब सी धुन सुनाई दे रही है... सब को माफ़ कर दो सबने मुझे प्यार तो दिया ही है| और फिर सब को माफ़ कर देने की ख़ुशी होंठो को खींच देती है.. आँखे खुल कर और चमकीली हो जाती हैं| दिल में इतना प्यार भर जाता है कि धडकनों कोई जगह नहीं रह जाती| दुनिया में रोते हुए आये और दुनिया को रोते हुए छोड़ कर मुस्कुराते हुए जा रहे हैं लोगो कि यादों में अमर होकर! कुछ अधूरे ख्वाब उन रोती निगाहों में छोड़ कर जो हर बार मेरे नाम सुन कर नम हो जयेंगी|
मौत के इस एहसास को मई जीते जे महसूस कर पा रहा हूँ| और इश्वर से यहि विनीति कर रहा हु... के जीते जी लोगो को इतना प्यार दे पाऊं कि मेरी मौत मेरे जनाजे को मेरे प्यार करने वालो के हुजूम से सजा दे...
दोस्तों रुक्सत होने कि इस घडी में आपके प्यार कि वेदना को महसूस करने कि तमन्ना है!! मेरी किताब में मेरी बरती हुई सिद्दत को अपने नजरो कि इनायत बक्श्ना|
आमीन!
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